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KBC 14 Quiz: अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस कब मनाया है?

Post Last Updates by admin: Wednesday, December 14, 2022 @ 5:39 PM

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KBC 14 Quiz: अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस कब मनाया है?

KBC 14 Quiz

KBC 14 Questions Answer : 

ऑप्शन:
A. 10 सितंबर
B. 19 सितंबर
C. 18 दिसंबर
D. 19 अगस्त

उत्तर: B. 19 सितंबर

अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस 19 सितंबर को मनाया है. अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस 19 नवंबर को समाज के सभी पुरुषों और जीवन के सभी पहलुओं में उनके योगदान को याद करने के लिए मनाया जाता है. इस दिवस का उद्देश्य सकारात्मक पुरुष रोल मॉडल को याद करना और जीवन के सभी पहलुओं में उनके योगदान का सम्मान करना है.वर्ष 1999 में त्रिनिदाद और टोबैगो में वेस्ट इंडीज विश्वविद्यालय के इतिहास के प्रोफेसर डॉ. जेरोम तिलक सिंह ने अपने पिता के जन्मदिन को 19 नवंबर के दिन मनाया.




 

KBC Quiz Questions Answer 2023

उन्होंने पुरुषों के मुद्दों को उठाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया. इसके बाद से 19 नवंबर 2007 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया गया. भारत में अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस पहली बार 2007 में 19 नवंबर को मनाया गया. पुरुषों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 19 नवंबर को यह दिन सेलिब्रेट किया जाता है. यह दिन पुरुषों को उनके अधिकार दिलाने, भेदभाव, शोषण, उत्पीड़न या हिंसा के खिलाफ मनाया जाता है.

 

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Q. प्रसिद्ध गीत ‘सारे जहां से अच्छा’ की रचना किसने की थी ?

ऑप्शन:
A. बंकिम चंद्र चटर्जी
B. रविंद्रनाथ टैगोर
C. जयदेव
D. मोहम्मद इकबाल
उत्तर: D. मोहम्मद इकबाल


प्रसिद्ध गीत ‘सारे जहां से अच्छा’ की रचना मोहम्मद इकबाल ने की थी. ‘सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा’ गाना मोहम्मद इकबाल ने लिखा था. यह गीत उर्दू भाषा की सबसे स्थायी देशभक्ति कविताओं में से एक है. इस गाने को ‘तराना-ए-हिंद’ भी कहा जाता है. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश राज के विरोध का प्रतीक बनी और जिसे आज भी देश-भक्ति के गीत के रूप में भारत में गाया जाता है. इसे अनौपचारिक रूप से भारत के राष्ट्रीय गीत का दर्जा प्राप्त है.


इस गीत को प्रसिद्ध शायर मुहम्मद इक़बाल ने 1905 में लिखा था और सबसे पहले सरकारी कालेज, लाहौर में पढ़कर सुनाया था. यह इक़बाल की रचना बंग-ए-दारा में शामिल है. उस समय इक़बाल लाहौर के सरकारी कालेज में व्याख्याता थे. उन्हें लाला हरदयाल ने एक सम्मेलन की अध्यक्षता करने का निमंत्रण दिया. इक़बाल ने भाषण देने के बजाय यह ग़ज़ल पूरी उमंग से गाकर सुनाई. यह ग़ज़ल हिन्दुस्तान की तारीफ़ में लिखी गई है और अलग-अलग सम्प्रदायों के लोगों के बीच भाई-चारे की भावना बढ़ाने को प्रोत्साहित करती है.

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