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Kalashtami 2023: कब है कालाष्टमी? जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Post Last Updates by admin: Wednesday, May 10, 2023 @ 5:55 PM

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Kalashtami 2023: कब है कालाष्टमी? जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

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Kalashtami 2023: कब है कालाष्टमी? जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

 

Kalashtami 2023: कब है कालाष्टमी?

– अपने भक्तों से भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।
– भगवान शिव को काल भैरव का अवतार माना गया है।
– भगवान काल भैरव की कालाष्टमी के दिन पूजा होती है।

 

 

Kalashtami 2023: भगवान शिव, जिन्हें महादेव के रूप में जाना जाता है, अपने भक्तों से शीघ्र प्रसन्न होने और उनकी इच्छाओं को पूरा करने के लिए जाने जाते हैं। काल भैरव, जिन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है, जिनकी पूजा कालाष्टमी के शुभ दिन की जाती है, जो ज्येष्ठ माह में अस्त होने वाले चंद्रमा के आठवें दिन आती है। इस वर्ष कालाष्टमी 12 मई, 2023 को पड़ रही है। जो भक्त इस दिन काल भैरव की पूरी श्रद्धा से पूजा करते हैं, उन्हें अपने दुखों और परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

तांत्रिकों के लिए भी कालाष्टमी का विशेष महत्व है। इस रात को तंत्र साधक भगवान काल भैरव की पूजा करते हैं और सफलता पाने के लिए अनुष्ठान करते हैं।

 

कालाष्टमी शुभ मुहूर्त

कालाष्टमी तिथि 12 मई को सुबह 9:06 बजे शुरू होगी और 13 मई 2023 को सुबह 6:50 बजे समाप्त होगी। फिर भी परंपरा के अनुसार रात्रि में काल भैरव की पूजा की जाती है। इसलिए श्रद्धालु 12 मई 2023 को ही व्रत रखेंगे।

 

कालाष्‍टमी व्रत का महत्‍व

 

भक्त कालाष्टमी के अवसर पर भगवान काल भैरव का प्रसन्न करते हैं, ऐसा माना जाता है कि यह किसी के मन से सभी प्रकार के भय को मिटा देता है। इस दिन व्रत करना लाभकारी माना जाता है। जो लोग बुरे सपने से पीड़ित हैं, उन्हें इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से शांति मिल सकती है, क्योंकि यह रात के दौरान उनके डर और आशंका को कम कर सकता है।

कालाष्‍टमी पूजा विधि

 

कालाष्टमी की तैयारी के लिए इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लेना चाहिए। व्रत रखने वाले काले रंग के वस्त्र धारण कर सकते हैं। फिर भगवान काल भैरव का ध्यान करते हुए हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प करना चाहिए। भगवान काल भैरव को उनके मंत्रों का जाप करते हुए धतूरा, दूध, दही, बेलपत्र, धूप, दीप, फल, फूल और पंचामृत अर्पित करना चाहिए। व्रत तोड़ने के लिए शाम को आरती करें और फलाहार करें। अगले दिन उपवास समाप्त करने के बाद जरूरतमंद लोगों को दान करने की सलाह दी जाती है।

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